सच्चाई आम आदमी के जुबान से निकल कर सिंहासन हिला देती है।
- ANIS LALA DANI
- Jan 2, 2024
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गुरदीप सिंग चावला (पिथौरा) की कलम से:- सच्चाई आम आदमी के जुबान से निकल कर सिंहासन हिला देती है।
शर्त ये है कि बात में दम हो।
ऐसी सोच पर दम रखने वाले,
मानव सेवा को समर्पित,एक ऐसा छुपा रुस्तम को हम ने खोज लिया है और हमने ब्रेकिंग ADN न्यूज में स सम्मान जगह दी है। वो है पिथौरा के गुरदीप सिंग चावला,
उनकी कलम से,,,,,,
क्यूं ऐसा नहीं होता?
सरकार को नेताओं के लिए भी ऐसे कानून बनाने चाहिए जो नेता शासकीय जमीनों को अधिकारियों के मिलीभगत से अपने नाम करवा लेता है तथा जो काम देने के बदले परसेंट तय करवाता है ऐसे नेताओं को किसी भी कोर्ट में जमानत ना मिले सीधे फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए।
अमित शाह ऐसा कानून कब बनायेगे ?
क्या कभी ऐसा कानून बन पाएगा?
शराबबंदी ना होने के कारण शराब पीकर लोग दुर्घटना को अंजाम दे बैठते हैं
वाहन चलाते समय मोबाइल का उपयोग कर दुर्घटना को अंजाम देते हैं
अगर जुर्माना बढ़ा देने से दुर्घटनाएं रुक सकती तो हम इसका स्वागत करते हैं।
लेकिन यह कभी भी संभव नहीं है।
नेताओं के काफिले से आमजन को जो तकलीफ होती है क्या आपने कभी गौरे फिक्र किया,उन्हि के खर्च उठाने के लिए रास्ते भर अधिकारियों द्वारा गाड़ियां से जो एंट्री के रूप में वसूली करते हैं क्या जायज है। उन्हें बंद करवा कर समस्त टू व्हीलर एवं फोर व्हीलर चालकों को मार्गदर्शन करें। जिससे दुर्घटना पर रोक लगाई जा सके
मैं अगर हेलमेट लगाकर नहीं चल रहा तो 1000 जुर्माना ठोक दिया जाता है अधिकारी या वहां खड़ा कर दे या तत्काल उन्हें हेलमेट प्रदान करें क्या ये मुमकिन नहीं। ऐसा क्यूं नही हो सकता।
फाइनेंस कंपनियां छोटी सी रकम लेकर मोटरसाइकिल फाइनेंस करती हैं इसके कारण मोटरसाइकिलों की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ते जा रही है इस पर रोक लगाना आवश्यक है।
हमने अक्सर देखा है जब से स्कूटी दो पहिया वाहनआई है तब से नाबालिक बच्चे इसका ज्यादा उपयोग करने लगे हैं। हमने ये भी देखा है बच्चियों एवं महिलाएं की वाहन चालन की गति पुरुषों की अपेक्षा कहीं ज्यादा होती है इस पर भी रोक लगाना आवश्यक है।
हाईवे रोड को छोड़ दें ग्रामीण क्षेत्र के रोड पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं जिस पर सरकार का ध्यान कभी नहीं जाता क्योंकि वह शहरी क्षेत्र दिखा कर अपनी पीठ थपथपा ने में लगी हुई है।
आखिर ऐसी अनगिनत ज्वलंत जन समस्याएं हैं, जिनका समाधान कौन और कब करेगा।
ऐसे अनेकों कारण है जिस पर सरकार को गौर करना लाज़िम ही नही फर्ज भी बनता है।