ट्रेन की 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर की गई टेस्टिंग...
- ANIS LALA DANI
- Jan 5, 2024
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ब्रेकिंग ADN न्यूज़ :-
नई दिल्ली - जब कोई ट्रेन 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हो तो क्या टक्कर रोधी सिस्टम ‘कवच’ सही तरीके से काम करेगा। भारतीय रेलवे ने इसका जवाब तलाशने के लिए मथुरा और पलवल के बीच पहली बार इसका ट्रायल किया। जानकरी के मुताबिक, बीते 30 दिसंबर को कवच लगे इंजन को 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाकर इसका टेस्ट किया गया। इससे पहले, दक्षिण मध्य रेलवे में तीन खंडों में प्रणाली शुरू करने से पहले विभिन्न स्थानों पर 130 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ऐसे परीक्षण किए गए थे।
आगरा मंडल की जनसंपर्क अधिकारी (PRO) प्रशस्ति श्रीवास्तव ने कहा, ‘नए ट्रायल का नतीजा बेहद उत्साहजनक रहा है। हम रिसर्च डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) और दूसरे हितधारकों के साथ रिपोर्ट का विस्तार से विश्लेषण करेंगे। इस दौरान यह देखा जाएगा कि किन क्षेत्रों में सुधार किए जाने की जरूरत है।’ कवच प्रणाली के तहत किसी भी आपातकालीन स्थिति में चालक के विफल होने पर स्वचालित रूप से ब्रेक लग सकते हैं। रेलवे जानकरी के अनुसार प्रणाली की क्षमता जांचने के लिए और अधिक परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है।
अधिकारी ने कहा, ‘अगर प्रणाली के सभी मापदंड 140 किमी प्रति घंटे पर ठीक काम कर रहे हैं, तो हम 160 किमी प्रति घंटे तक की उच्च गति पर ट्रायल करेंगे।’ श्रीवास्तव ने कहा कि हमने मथुरा (स्टेशन को छोड़कर) और पलवल के बीच 80 किलोमीटर की दूरी पर संपूर्ण कवच नेटवर्क विकसित किया है। इसमें स्टेशन क्षेत्रों और अन्य स्थानों पर रेलवे पटरियों पर आरएफआईडी टैग लगाना शामिल है। इसे ध्यान में रखते हुए आगे का काम जारी है।
रेलवे के अनुसार, कवच प्रणाली दक्षिण मध्य रेलवे क्षेत्र में 1,465 किमी मार्ग और 139 लोकोमोटिव पर तीन खंडों में पहले से ही काम कर रही है। गति प्रतिबंध के कारण उस मार्ग पर परीक्षण नहीं किया जा सकता है। रेलवे अधिकारी ने कहा, ‘इस दिल्ली-आगरा खंड को छोड़कर भारत के सभी रेल नेटवर्क पर रेलगाड़ियां अधिकतम 130 किमी प्रति घंटे की गति से चलती हैं।’ कवच चलती रेलगाड़ियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए ऑटोमैटिक ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है। इसे तीन भारतीय कंपनियों के सहयोग से आरडीएसओ की ओर से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।