गांव में जीरो शहर मा हीरो के अभिनेता नए फिर भी लोगों का भरपूर प्यार आशीर्वाद मिल रहा हैं...
- ANIS LALA DANI
- Feb 11, 2024
- 3 min read
पत्रकार अमृतेश्वर सिंह की क़लम से:-
रायपुर... एम.आर. फिल्म प्रोडक्शन के अभिनेता मनोज राजपूत जी की फिल्म ‘गांव के जीरो शहर मा हीरो’ फिल्म छत्तीसगढ़ के सभी सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है, इस फिल्म को दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है। फिल्म का प्रमोशन इतने जोर-शोर से किया गया है कि यह फिल्म लोगों के लिए आज चर्चा का विषय बनी हुई है।
इस फिल्म के प्रमोशन में मनोज राजपूत ने शासकीय कॉलेज भाटापारा, डोंगरगढ़, बोरई, बेरला शासकीय कॉलेज उतई, भारती कॉलेज, जेवरा-सिरसा,एवं कई शैक्षणिक संस्थाओं पर जाकर छात्रों के लिए कला सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। साथ ही भिलाई सिविक सेंटर के नन्हे टी स्टॉल, मैत्री-बाग और गांव-गांव में हो रहे मड़ई-मेले में जाकर फ्री चाय बंटवाई और लोगों के साथ चाय पर चर्चा भी किया गया। इसके अलावा लोकल ट्रेन, रायपुर युनिपोल, एलइडी स्क्रीन ऑटो, एफ.एम. रेडियो और कई इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, समाचार पत्रों जैसे और भी विभिन्न विज्ञापन द्वारा प्रमोशन किया। छत्तीसगढ़ की पहचान के लिए इस फिल्म के माध्यम से बड़े स्तर पर प्रमोशन किया गया। इस फिल्म में छत्तीसगढ़ की परंपरा (लोकल वाद) को आगे बढ़ाने और लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। इनका उद्देश्य छत्तीसगढ़ की छत्तीसगढ़ी परंपरा को नयी पीढ़ी से अवगत कराना है। साथ ही फिल्म के माध्यम से छालीवुड को एक नई पहचान देना है एवं छत्तीसगढ़ की फिल्म इंडस्ट्री को न केवल प्रदेश में बल्कि, पूरे प्रदेश में अपना परचम लहराना है।
यह फिल्म मनोज राजपूत के जीवन की वास्तविक घटनाओं पर आधारित है। फिल्म में किस प्रकार उन्होंने अपने जीवन में संघर्ष किया, गांव छोड़ने से लेकर जेल जाने तक के सफर को बखूबी दर्शाया है। स्थितियां खराब होने की वजह से अपनी शिक्षा पूरी न कर पाने के बावजूद भी जीवन में आगे बढ़ने की चाह रखने वाले मनोज छोटे से गांव से निकलकर अपना सपना पूरा करने शहर आते हैं और एक छोटे से रोजगार से शुरुआत कर व्यापार की दुनिया में बड़ा नाम बनाते हैं। इस दौरान उनके कार्यक्षेत्र में बाहरी लोगों द्वारा विभिन्न तरह से बाधा उत्पन्न किया, जिसके चलते उन्हें 2 बार जेल तक जाना पड़ा और वहां उन्हें किस प्रकार प्रताड़ित किया गया था, इन सब घटनाओं को फिल्म के माध्यम से दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया गया है।
इस फिल्म में मुख्य रूप से गाँव में हो रहे अंधविश्वास के कारण बलि प्रथा का विरोध किया गया। 8-वर्ष पहले अपने ही परिवार के बीच बलि प्रथा को अपने ही घर में रोका गया, जिसके कारण उन्हें अपने परिवार के बीच में मतभेद का सामना करना पड़ा। इसमें यह भी दिखाया गया है कि किस प्रकार प्रदेश में दिवाली (गोवर्धन पूजा) में कई गायों की पूजा करते है, उनका जूठा खिचड़ी को प्रसाद के रूप में खाते है परन्तु अगले ही दिन उनको धुत्कारने लगते है उन्हें अपना जूठा खीलाने लगते है, जिसके कारण ही हमारे जीवन में अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आज भी मनोज जी अपने कैंपस में प्रतिदिन कई गायों को ताजी सब्जियां खिलाकर गायों की सेवा करते है। उनका मानना है कि किसी भी बेजुबान जानवरों के साथ अन्याय ना हो। इसमें पशुओं पर हो रहे अत्याचार एवं मनोज जी का उनके प्रति स्नेह को भी बखूबी फिल्म में उतारा गया है।
मजबूत व्यक्तित्व के धनी मनोज राजपूत का कहना है कि वह छत्तीसगढ़ राज्य को एक उद्गामी रास्ते से आगे बढ़ाने में सहयोग कर रहे हैं। एम. आर. फिल्म्स द्वारा ऐसे कलाकार जिन्हें रोजगार की तलाश है, उनको भी आगामी फिल्मों में काम करने का मौका दिया जाएगा और साथ ही छत्तीसगढ़ के भावी कलाकारों को भी मंच प्रदान किया जाएगा। मनोज राजपूत का मुख्य व्यापार एम.आर. लेआउट्स है, जिसे वह अपने प्रतिभावान टीम की लगन के साथ आज ऊंचे मुकाम पर लेकर आए हैं। उन्हें अपनी पूरी सहयोगी कर्मचारी पर बहुत गर्व है। क्योंकि बहुत ही कम समय में जिस प्रकार का काम करने में वह सक्षम रहे हैं, उसका श्रेय वह अपनी सहयोगी कर्मचारी को हमेशा देते हैं।
मनोज राजपूत ने अपनी पहचान बनाने जीवन में कई संघर्ष किए हैं, वह युवा वर्ग को प्रेरित करना चाहते हैं कि लोग भी उनकी तरह एक ऊंचा मुकाम हासिल कर सकें और अपने सपनों को पूरा कर सकें।