छत्तीसगढ़ के तकनीकी सपनों पर मंडराते सवाल, CSVTU कुलपति चयन में सर्च कमेटी की पारदर्शिता पर उठा अविश्वास का परदा....
- ANIS LALA DANI

- Jul 30
- 2 min read
पत्रकार अमृतेश्वर सिंह की कलम से:-
रायपुर:- छत्तीसगढ़ का गौरव माने जाने वाला राज्य का एकमात्र तकनीकी विश्वविद्यालय CSVTU (छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई) आज जिस मोड़ पर खड़ा है, वह केवल एक शैक्षणिक संस्थान की नियुक्ति प्रक्रिया का विषय नहीं बल्कि पूरे राज्य के तकनीकी भविष्य की नींव पर उठता गंभीर प्रश्न है।
पिछले 10 महीनों से विश्वविद्यालय बिना नियमित कुलपति के संचालित हो रहा है, और अब जो सर्च कमेटी गठित की गई है, उसकी संरचना और प्रक्रिया ने इस पूरे चयन को विवादों के घेरे में ला खड़ा किया है।

सपनों के विश्वविद्यालय में साज़िश की स्याही ?
15 जनवरी 2025 को गठित प्रारंभिक सर्च कमेटी में देश के सर्वश्रेष्ठ तकनीकी मस्तिष्क जैसे—
प्रो.एच.पी. किंचा (कर्नाटक स्टेट इनोवेशन काउंसिल),
प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा (निदेशक, IIT दिल्ली),
को सम्मिलित किया गया था।
लेकिन 6 जून को अचानक, बिना किसी स्पष्ट कारण के, इस समिति को विघटित कर एक नई कमेटी का गठन कर दिया गया। इस नई समिति में शामिल हैं:
प्रो. रेणु राजगुरु, ENT विशेषज्ञ, AIIMS रायपुर सुयोग्य कुमार मिश्रा, सेवानिवृत्त IAS अधिकारी
जबकि अध्यक्ष के रूप में प्रो. अशोक पुराणिक (AIIMS गुवाहाटी) को दोहराया गया है।
क्या यह निर्णय किसी विधि या विवेक पर आधारित था? या फिर यह किसी पूर्वनिर्धारित स्क्रिप्ट का हिस्सा था?
उम्मीदवारों की योग्यता पर सवाल
11 जुलाई को बुलाए गए 10 उम्मीदवारों में से—
डॉ. मोहनलाल अग्रवाल कुलपति पद की अनिवार्य अर्हता (10 वर्ष की प्रोफेसरशिप) को पूरा नहीं करते।
डॉ. आर.एन. खरे पूर्व में आर्थिक अनियमितताओं के आरोप में निलंबित, FIR दर्ज, और वर्तमान में भी जांच के घेरे में हैं।
ऐसे में सवाल ये है कि —
क्या योग्यता और नैतिकता को दरकिनार कर चयन केवल संपर्कों के आधार पर किया जा रहा है?
क्या यह प्रदेश के छात्रों और तकनीकी शिक्षा के साथ अन्याय नहीं है?
एक दिशा-विहीन संस्थान
200 एकड़ में फैले CSVTU को राष्ट्रीय स्तर पर नई ऊंचाइयां मिलनी थीं, लेकिन न समय पर परीक्षाएं हो रही हैं, न शोध में प्रगति, और न ही कोई दीर्घकालिक अकादमिक योजना दिखाई देती है। विश्वविद्यालय अस्थायी प्रभारी कुलपतियों के सहारे चलाया जा रहा है।
साफ है कि कुलपति नियुक्ति की पूरी जिम्मेदारी कुलाधिपति (राज्यपाल) की है।
प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करना और उपयुक्त व्यक्तियों की नियुक्ति करना संवैधानिक एवं नैतिक दोनों उत्तरदायित्वों में आता है।
छत्तीसगढ़ के विद्यार्थी, अभिभावक, शिक्षक, और तकनीकी समुदाय एक साथ मिलकर यह मांग करते हैं:
1. कुलपति चयन प्रक्रिया की पुनः पारदर्शी समीक्षा की जाए।
2. तकनीकी विशेषज्ञों की संपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
3. ऐसे व्यक्ति को कुलपति नियुक्त किया जाए जिसकी शैक्षणिक योग्यता, नैतिक चरित्र और दूरदृष्टि पर कोई प्रश्नचिन्ह न हो।
“एक विश्वविद्यालय केवल ईंट-पत्थरों से नहीं बनता, वह बनता है दृष्टिकोण, दिशा और दूरदर्शिता से।”
CSVTU को उसका असली नेतृत्व मिले — यही छत्तीसगढ़ की सच्ची तकनीकी आकांक्षा है।





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