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आईटी हब छत्तीसगढ़ के लिए वरदान....

ब्रैकिंग ADN न्यूज़ :-

रायपुर:- छत्तीसगढ़ अब डिजिटल और तकनीकी क्षेत्र में इतिहास रचने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। सीएम विष्णुदेव साय की नीतियों के दम पर छत्तीसगढ़ अब देश के प्रमुख आईटी हब के रूप में उभर रहा है।इस क्रांतिकारी बदलाव का सबसे बड़ा प्रतीक है नवा रायपुर में स्थापित होने वाला देश का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित डेटा सेंटर पार्क, जो तकनीकी नवाचार का केंद्र बनेगा। साथ ही यहां से हजारों युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार खुलेंगे।

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नवा रायपुर के सेक्टर-22 में 13.5 एकड़ के विशाल क्षेत्र में बनने वाले इस अत्याधुनिक डेटा सेंटर पार्क का भूमिपूजन मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हाल ही में किया है। इस प्रोजेक्ट में लगभग एक हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा। टेक्नोलॉजी कंपनी ESDS Software Solution Ltd ने यहां 600 करोड़ से अधिक के निवेश का प्रस्ताव रखा है। इस डेटा सेंटर पार्क में 2.7 हेक्टेयर हिस्सा विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के रूप में विकसित होगा, जो इसे वैश्विक स्तर की तकनीकी सुविधाओं का केंद्र बनाएगा। एआई डेटा सेंटर डेटा स्टोरेज और प्रोसेसिंग की सुविधा प्रदान करेगा। साथ ही AI, हेल्थटेक, डिफेंस, फिनटेक और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में सेवाएं भी देगा। यहां GPU आधारित हाई-एंड कंप्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, लाइव डेटा स्ट्रीमिंग, रिकॉर्डिंग और AI प्रोसेसिंग जैसी विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध होंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य छत्तीसगढ़ को डिजिटल आत्मनिर्भरता की दिशा में ले जाना है।


इस डेटा सेंटर पार्क के निर्माण से छत्तीसगढ़ को कई स्तर पर फायदा होगा। इससे एक तो रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह प्रोजेक्ट हजारों नौकरियां देगा। खास तौर पर आईटी, डेटा एनालिटिक्स और तकनीकी रखरखाव के क्षेत्र में युवाओं को काम मिलेगा। अब छत्तीसगढ़ के युवाओं को करियर बनाने के लिए दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु जैसे महानगरों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा। नवा रायपुर में ही उन्हें विश्वस्तरीय अवसर मिलेंगे। साथ ही AI तकनीक के जरिए किसानों को स्मार्ट खेती, मौसम की सटीक जानकारी और फसल प्रबंधन में मदद मिलेगी।


एआई डेटा पार्क से दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकारी सेवाएं डिजिटल माध्यम से आसानी से उपलब्ध होंगी। यह तकनीकी समावेशिता की दिशा में बड़ा कदम है। यह सेंटर राष्ट्रीय और वैश्विक डेटा ट्रैफिक को संभालेगा, जिससे सरकारी सेवाएं तेज और पारदर्शी होंगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस प्रोजेक्ट को डिजिटल इंडिया की भावना को साकार करने वाला कदम बताया है। उन्होंने कहा, हमारी नई औद्योगिक नीति के कारण कम समय में ही देश-विदेश से निवेश के प्रस्ताव आ रहे हैं। हम ऐसा छत्तीसगढ़ बना रहे हैं, जहां के युवा न केवल सेमीकंडक्टर तैयार करेंगे, बल्कि AI आधारित सेवाएं भी प्रदान करेंगे


उन्होंने हाल ही में नाइलिट (NIELIT) की स्थापना के लिए नवा रायपुर में 10 एकड़ जमीन आवंटित करने का फैसला किया है, जो डिजिटल कौशल विकास को बढ़ावा देगा। यह कदम छत्तीसगढ़ के युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण और वैश्विक स्तर की नौकरियों के लिए तैयार करेगा। इस प्रोजेक्ट में निवेश के लिए कई कंपनियां आगे आ रही हैं। ESDS Software Solution Ltd ने 600 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश का प्रस्ताव दिया है, जो AI, क्लाउड टेक्नोलॉजी, साइबर सिक्योरिटी, और डिजिटल स्टोरेज के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को अग्रणी बनाने में मदद करेगा। मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार हर संभव सहायता प्रदान करेगी ताकि यह परियोजना जल्द से जल्द पूरी हो।


इसके अलावा, टेलीपरफार्मेंस जैसी वैश्विक कंपनियां भी नवा रायपुर में निवेश के लिए उत्सुक हैं। सरकार ने चार कंपनियों को 1800 सीटें उपलब्ध कराई हैं। एक आईटी टावर का निर्माण शुरू हो चुका है। अगले चरण में 5000 से 6000 नौकरियां सृजित करने का लक्ष्य है। नवा रायपुर में माओवाद प्रभावित क्षेत्रों के युवाओं को ट्रेनिंग देकर रोजगार देने की पहल शुरू हो चुकी है। हाल ही में नवा रायपुर में स्क्वायर बिजनेस सर्विस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा शुरू किए गए बीपीओ में 13 जिलों के 350 युवाओं को काम मिला है। जल्द ही यहां 5000 से 6000 युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य है। आईटी सेक्टर में कुल 10,000 से ज्यादा नौकरियां सृजित करने की योजना है।


छत्तीसगढ़ सरकार डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है।

इसके तहत न्यायालयों के कंप्यूटरीकरण के लिए 37 करोड़ रुपए, ई-धरती परियोजना के लिए 48 करोड़ रुपए, स्टेट डेटा सेंटर के लिए 40 करोड़ रुपए, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण के लिए 24 करोड़ रुपए, CCTNS के संचालन और रखरखाव के लिए 25 करोड़ रुपए और डिजिटल गवर्नेंस के लिए 9 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है। राज्य सरकार ने अपने डिजिटल मिशन के तहत जियो-रिफ्रेंसिंग के जरिए राजस्व प्रशासन को और चुस्त-दुरुस्त करने की पहल की है। इसके लिए 150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस तकनीक से भू-स्वामियों को जमीन संबंधी विवादों से मुक्ति मिलेगी। डिजिटल क्रॉप सर्वे से ई-गिरदावरी में आसानी होगी। खसरा नंबर की जगह यू.एल. पिन नंबर और भू-आधार कार्ड प्रदान किए जाएंगे।




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