डेढ़ महीना हो गए स्कूल खुले अब तक स्कूली बच्चों की किताबें नहीं मिली....
- ANIS LALA DANI

- Aug 1
- 2 min read
पत्रकार अमृतेश्वर सिंह की कलम से:-
क्यूआर कोड स्कैन करने का बहाना बनाकर किताब वितरण का काम रोक दिया गया है
रायपुर:- स्कूली बच्चों को किताब वितरण में हो रही देरी को भाजपा सरकार की अपेक्षा, अकर्मण्यता और दुर्भावना करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संचार प्रमुख सुशीला आनंद शुक्ला ने कहा है कि डेढ़ माह हो चुके हैं स्कूल खुले लेकिन अब तक यह सरकार बच्चों को किताब वितरित नहीं कर पाई है। इस सरकार के सरकारी सिस्टम में खामियों की सजा पूरे प्रदेश के बच्चे और शिक्षक भोगने मजबूर हैं। किताबें गोदाम में पड़ी खराब हो रही हैं और बच्चों के स्कूल बैग खाली हैं। स्कूलों में किताबों का पीडीएफ भेजा गया है, पीडीएफ से पढ़ा पाना शिक्षकों के लिए संभव नहीं है। भाजपा सरकार का फोकस शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने बिल्कुल नहीं है, यही कारण है कि अब तक बच्चों को ना किताब मिल पाया है, न गणवेश, साइकिल वितरण योजना तो इस सरकार में पूरी तरह से बंद हो गया है।

प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि बिना अपनी व्यवस्था सुधारे यह सरकार नए-नए तुगलकी प्रयोग करती है। क्यूआर कोड स्कैन करने का बहाना बनाकर किताब वितरण का काम रोक दिया गया है। तिमाही परीक्षा का समय आ चुका है लेकिन पाठ्य पुस्तक का वितरण अब तक छात्रों को नहीं किया जा सका है। पिछले सत्र के दौरान भी लगातार यह शिकायत आयी थी कि उसी सत्र की किताबें कबाड़ की दुकान और कागज गलाने के कारखानो तक पहुंच गए, वर्तमान सत्र में भी यही हाल है स्कूल खुलने से पहले ही जो किताबें बच्चों के स्कूली बैग में होने चाहिए थे, कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार के चलते कबाड़ की दुकानों में पहुंचना शुरू हो गया, सरकार में बैठे लोग मोटे कमीशन के लालच में सरकारी शिक्षा व्यवस्था को ही ध्वस्त करने में तुले हैं।
प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि भाजपा की सरकार नहीं चाहती कि छत्तीसगढ़ के बच्चें पढ़े लिखे, पढ़ लिख पाएं, इन्हें डर है कि पढ़ा लिखा युवा इनसे सवाल पूछेगा, इन्हें तो अंधभक्त चाहिए और इसीलिए दुर्भावना से शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने में जुटी हुई है सरकार। युक्तियुक्तकरण के नाम पर पिछले सत्र की तुलना में छत्तीसगढ़ में 10463 सरकारी स्कूलों का डायस कोड मर्ज किया जा चुका है, अर्थात इतने स्कूल कम हो गए, नया सेटअप के नाम पर प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूल तथा हायर सेकेंडरी में न्यूनतम पदों की संख्या में कटौती की गई, छात्र शिक्षक अनुपात बढ़ाए गए जिसके चलते शिक्षकों के अधिकांश रिक्त पद स्वतः समाप्त कर दिए गए। हर महीने सैकड़ो की संख्या में शिक्षक सेवानिवृत हो रहे हैं लेकिन पिछले डेढ़ साल के दौरान एक भी पद पर नियमित शिक्षक की नई नियुक्ति, यह सरकार नहीं कर पाई है। हालत यह है कि केवल रायपुर जिले की बात करें तो केवल स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूलों में ही ढाई सौ से ज्यादा शिक्षकों के पद रिक्त है, नगर निगम के स्कूलों में सहायक शिक्षक, व्याख्याता की भूमिका निभा रहे हैं। पूरे प्रदेश के आंकड़े और भी चिंतनीय है, भाजपा की सरकार की मंशा शिक्षा विरोधी है।





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