सरकारी दफ्तर निजी भवन से होंगे बेदखल, सरकारी खैरात जल्द बंद होगी.....
- ANIS LALA DANI

- Jan 5, 2024
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ब्रेकिंग ADN न्यूज़ :-
जितने भी सरकारी दफ्तर निजी भवन में चल रहे वो अब सरकारी भवन में शिफ्ट होने वाले हैं। विष्णुदेव साय सरकार वित्तीय प्रबंधन की दिशा में ठोस कदम उठाने जा रही है। सरकारी राशि से बड़े बड़े भवन मोटे किराए पर लेने वाले अफसरों की अब सांठगांठ को लेकर सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। किराए के नाम पर मलाई खाने वाले अफसरों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। जिन विभागों का निजी भवनों में दफ्तर है, उनके बड़े अधिकारी अब विभागीय मंत्रियों के बंगला की परिक्रमा शुरू कर दिए हैं। ताकि कुछ सफाई देने का मौका मिल सके और अपनी पर गर्दन लटकती तलवार से बचा जा सके। कई अधिकारी तो अपनी ही बिल्डिंग को सरकार को किराए पर देकर हर महिने लाखों रुपए छाप रहे हैं। जबकि सरकार के सभी विभागों का सरकारी भवन है । अधिकारी अपनी सुविधा के अनुसार कई तरह के बहाने बनाकर सरकारी विभागों को निजी भवन से संचालित करने का षड्यंत्र रच कर सरकार को चूना लगा रहे है।
निजी भवनों में चल रहे सरकारी दफ्तरों की शिफ्टिंग की बारी है। जिन अधिकारियों ने विभाग की खुद की बिल्डिंग होने के बाद भी किराये पर निजी भवन लेने वाले अधिकारियों को दण्डित करने के मूड में है। एक भाजपा नेता ने बताया कि जल्द ही ऐसे भवनों की सूची सरकार को सौंप कर ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे। पुराने रायपुर और नए रायपुर में काफी तादात में सरकारी भवन खली हो चुके हैं क्योकि उन्हें नया रायपुर में खुद का भवन मिल गया है। अधिकतर विभागों का अपना खुद भवन नया रायपुर में बन गया है और वे शिफ्ट भी हो गए हैं लेकिन अधिकारी किस तरह से सरकारी खजाने को ठिकाने लगाने के लिए खेला कर रहे हैं, इसकी एक तस्वीर छत्तीसगढ़ लौह शिल्पकार विकास बोर्ड और छत्तीसगढ़ रजककार विकास बोर्ड के इस कारनामे के बाद सामने आई है। अधिकारी अपने निजी फायदे के लिए सरकारी भवन खाली होने के बाद भी निजी भवनों को भारी भरकम किराये पर लेकर अपनी जेबें भर रहे हैं और शासन को चूना लगा रहे हैं। राजधानी में कई ऐसे सरकारी संस्थाएं हैं जो विभिन्न कालोनियों में निजी मकानों में किराये में संचालित हो रही है। हर माह कमीशन के रूप में लाखो रूपये भ्रष्ट अधिकारियों की जेब में जा रही है और सरकार को लाखों रुपए का किराया देना पड़ रहा है जबकि राजधानी में खाली भवनों की कमी नहीं है। प्रदेश में मितव्ययता का ढोल पीटने वाली पिछली सरकार हकीकत में कैसे काम की है इसका ताजा उदाहरण रवि नगर जैसे पॉश कालोनी में संचालित हो रहे छत्तीसगढ़ लौह शिल्पकार विकास बोर्ड और छत्तीसगढ़ रजककार विकास बोर्ड का दफ्तर गवाही दे रहा है। साय सरकार आने के बाद अब इनके दिन लदने वाले हैं। अधिकारियों ने अपनी जेबें भरने के लिए बड़े किराए वाले निजी भवन में दफ्तर को शिफ्ट कर दिया गया है, मजे की बात ये है कि इनके विभाग की खुद की सरकारी भवन खाली धूल फांक रही है। ये सरकार और उसके भ्रष्ट अधिकारी और सरकारी सिस्टम का ही खेल है कि आज प्रदेश कई हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज तले तबा हुआ है, ऐसे कई उदहारण हैं की खुद की बिल्डिंग होने के बाद निजी भवनों को किराये पर लिया गया है।
जब नई सरकार फिजूल खर्ची पर रोक लगाने अधिकारियों को नसीहत दे रही है, लेकिन अधिकारी हैं कि अपने निजी फायदे के लिए सरकारी पैसे की बंदरबांट करने से बाज नहीं आ रहे है। कई नेताओं ने इस पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब सरकारी भवन मौजूद है तो प्राइवेट भवनों में सरकारी दफ्तरों को शिफ्ट करने का औचित्य नहीं बनता। सीधा सीधा यह भ्रष्टाचार का एक बड़ा जरिया बनता दिखाई दे रहा है, जहां सरकारी भवन होने के बावजूद लाखों रुपए किराया चुका कर उन्हें वहां से संचालित किया जा रहा है। सरकार का इस मामले में स्पष्ट आदेश है कि मितव्ययिता और नियमों के अनुसार ही काम हो यदि कोई विभाग सरकारी व्यवस्था को खराब करने की हिमाकत करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।





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