विषय पदोन्नती में आरक्षण को लेकर उच्ब न्यायालय के फैसले के बावजूद पात्र लोगो को नहीं मिल रही पदोन्नतियां।
- ANIS LALA DANI
- Feb 27
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छत्तीसगढ़ सर्वहित संघ
रायपुर। विषय पदोन्नती में आरक्षण को लेकर उच्ब न्यायालय के फैसले के बावजूद पात्र लोगो को नहीं मिल रही पदोन्नतियां।
पत्रकार अमृतेश्वर सिंह की क़लम से:-
छ.ग. सर्वहित संघ छत्तीसगढ़ प्रदेश में सामान्य एवं पिछड़ी जाति के हितो की रक्षा हेत प्रदेश स्तरीय संगठन है। संघ के पदाधिकारी द्वारा बताया गया पदोन्नती में आरक्षण को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा 4 फरवरी 2019 को विभिन्न अपीलों (WA 409/2013 & 471/2013) के फैसले में स्पष्ट निर्देशित किया है कि पदोन्नती नियम 2003 की धारा 5 जो कि पदोन्नतियों में आरक्षण को निर्धारित करती है को अपाच्त किया जाता है एवं उसके परिणामों को लागू किया जाना है। जिसका अर्थ है कि 2003 से पदोन्नती में आरक्षण को निरस्त कर तत्कालीन समय-समय से हुई पदोन्नतियों पर पुनः जारी वरिष्ठता सूची के आधार पर कार्यवाही किया जाना है।

उक्त निर्णय पर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया को पुनः चुनौती दी गई जिसका अंतिम निर्णय माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 16 अप्रैल 2024 को जारी किया गया जिसमें स्पष्ट लेख है कि पूर्व अपनाई गई प्रक्रिया मान्य नहीं है। निर्णय में स्पष्ट लेख है कि छ.ग. राज्य पावर कंपनीयों को वर्तमान विद्यमान पदोन्नती नियम (जिसमें पदोन्नती में आरक्षण को अमान्य किया गया है) के आधार पर पदोन्नतियां करनी होगी।
उच्च न्यायालय के उक्त निर्णय के परिपालन में पावर कंपनीयों द्वारा 2003 के आधार पर सितम्बर 2024 में वरिष्ठता सूची तो जारी कर दी गई पर 2019 के निर्णय के 6 साल भी बीत जाने के बाद भी पूर्व में की गई अवैधानिक पदोन्नतियों पर कोई कार्यवाही नहीं करी गई जिससें कई पात्र अधिकारी कर्मबारी पदोन्नती से वंचित है।
पावर कंपनीयों में 2004 के पश्चात् जारी पदोन्नतियों में स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि उच्च न्यायालय का निर्णय आने पर उक्त आदेश निरस्त माने जा सकते है परन्तु खेद का विषय है कि निर्णय के 6 साल भी बीतने के उपरांत भी कईअधिकारी कर्मचारी बिना पदोन्नती पाये सेवानिवृत्त हो रहे है जो कि स्पष्ट रूप से उच्च न्यायालय के निर्णय का उल्लंघन है।
छ.ग. सर्वहित संघ के महासचिव आशीष अग्निहोत्री ने बताया की विभिन्न न्यायालयों के अनेक निर्णय जिसमें पदोन्नती में आरक्षण को अमान्य किया गया है साथ ही क्रीमीलेयर के आधार पर वर्गीकरण के सुघाव दिये गये है के बावजूद अधिकारी स्तर पर पदोन्नती में गलत प्रक्रिया अपनाये जाने का भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने विभिन्न न्यायालय द्वारा जारी अनेक फैसलों के प्रति दिखाते हुए बताया है कि समस्त याचिकाओं को खारिज होने उपरांत पश्चात अंतिम निर्णय हमारे पक्ष में आया है इसके बावजुद मी पावर कंपनी द्वारा निर्णय करने में देरी की जा रही है।
छ.ग. सर्वहित संघ के विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा प्रेस कांफ्रेंस कर अवैधानिक पदोन्नतियों को निरस्त करने एवं पात्र लोगो का आदेश जारी करने का निवेदन किया उन्होने बताया कि उच्च न्यायालय के फैसले को ना मानने से लगभग 2000 अधिकारी कर्मचारी का हित प्रभावित हो रहा है।