बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में नए सत्र में छात्रों के प्रवेश पर रोक उच्च न्यायालय की खण्डपीठ नें छ०ग० शासन, शिक्षा विभाग के सचिव को व्यक्तिगत शपथ पत्र प्रस्तुत करने हेतु किया निर्देशित....
- ANIS LALA DANI

- Jul 11
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पत्रकार अमृतेश्वर सिंह की कलम से:-
बिलासपुर:- मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा एवं न्यायमूर्ती रविन्द्र कुमार अग्रवाल के खण्डपीठ नें निःशुल्क बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्रस्तुत जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए नए शैक्षणिक सत्र में प्रवेश लेने वालों छात्र छात्राओं के हित में एक अहम आदेश पारित किया है। माननीय उच्च न्यायालय की खण्डपीठ द्वारा दिनांक 30 जून 2025 को उक्त प्रकरण में सूनवाई के बाद संचालक, लोक शिक्षण विभाग को विकास तिवारी द्वारा प्रस्तुत हस्तक्षेप याचिका के संबंध में व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया था। उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में दिनांक 11 जुलाई 2025 को संचालक, लोक शिक्षण विभाग ने शपथपत्र प्रस्तुत कर अवगत कराया कि प्रारंभिक शिक्षा में उम्र 6 से 14 वर्ष तक के बच्चे कक्षा पहली में जिन शालाओं में प्रवेश लेते हैं, तो ऐसी शालाओं को मान्यता लेना अनिवार्य है, किंतु जिन शालाओं में कक्षा नर्सरी से केजी 2 तक की कक्षाएं संचालित होती है, तो ऐसी गैर शालाओं को मान्यता लेना अनिवार्य नही है। संचालक, लोक शिक्षण विभाग ने न्यायालय को इस तथ्य से भी अवगत कराया कि जिन कक्षाओं के संचालन हेतु गैर शालाओं को मान्यता लेना अनिवार्य है, और ऐसी शालाएं बिना मान्यता के संचालित हो रही है, तो ऐसी गैर शालाओं के विरूद्ध जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा आर्थिक दण्ड अधिरोपित किया जा रहा है, तथा जिन शालाओं के द्वारा मान्यता लेने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया है, ऐसे आवेदन जिला स्तर पर लंबित है। साथ ही साथ इस तथ्य से भी अवगत कराया गया कि पूरे प्रदेश में गैर शासकीय शालाएं कक्षा नर्सरी से केजी 2 तक की संख्या 72, कक्षा नर्सरी से प्राथमिक शालाओं की संख्या 1391 कक्षा नर्सरी से पूर्व माध्यमिक शालाओं की संख्या 3114, कक्षा नर्सरी से उच्चतर माध्यमिक शालाओं की संख्या 2618 है। संचालक, लोक शिक्षण विभाग द्वारा यह भी बताया गया कि ऐसी गैर शासकीय शालाएं जहां कक्षा नर्सरी से केजी 2 की कक्षाएं संचालित होती है, उन्हे मान्यता लेना अनिवार्य नही है।

विकास तिवारी हस्तक्षेप कर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे एवं मानस वाजपेयी नें संचालक, लोक शिक्षण विभाग द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र का खण्डन करते हुए उच्च न्यायलय के खण्डपीठ को अवगत कराया कि निःशुल्क बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत छ०ग० शासन द्वारा दिनाक 07 जनवरी 2013 को विनियम लागू किया गया था, जिसमें समस्त गैर शासकीय शालाएं जहां कक्षा कक्षा नर्सरी से केजी 2 की कक्षाएं संचालित है, ऐसी गैर शासकीय शालाओं की भी मान्यता लेना अनिवार्य है।
प्रकरण में विकास तिवारी की हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई के पश्चात माननीय उच्च न्यायालय की खण्डपीठ नें छ०ग० शासन, शिक्षा विभाग के सचिव को निर्देशित किया है कि अगले सुनवाई के पूर्व व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत कर बताए कि 2013 के विनियम के अनुसार गैर शासकीय शालाएं कक्षा नर्सरी से केजी 2 को मान्यता लेने संबंधी दिशा निर्देश के विपरीत क्यों गैर शासकीय शालाएं बिना मान्यता के संचालित की जा रही है जिससे बच्चों के भविष्य का नुकसान किया जा रहा है साथ ही साथ उनके अभिभावकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ ही साथ यह भी आदेशित किया कि आगामी आदेश तक बिना मान्यता वाले गैर शासकीय शालाएं में नए सत्र के लिए बच्चों के प्रवेश पर रोक लगाएं।





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