108 ब्राह्मण एक साथ खारुन गंगा मैया की आरती कर बनाएंगे विश्व रिकॉर्ड...
- ANIS LALA DANI
- Dec 22, 2023
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पत्रकार अमृतेश्वर सिंह की कलम से:-
- 108 ब्राह्मण एक साथ करेंगे महाआरती
- पूर्णिमा के दिन होगी खारुन गंगा मैया की आरती
- कैलाश खेर के भजन जगाएंगे भक्तिभाव
- ढाई लाख दीपकों से जगमग होगा महादेव घाट का खारुन तट
- गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज करने की तैयारी
रायपुर की जीवनदायिनी खारुन नदी का तट 26 दिसंबर को ढाई लाख दियों की रौशनी से जगमग होगा। इस दिन वाराणसी और छत्तीसगढ़ के 108 ब्राह्मण एक साथ खारून गंगा महाआरती करेंगे। माँ खारुन गंगा महाआरती महादेव घाट जनसेवा समिति के संस्थापक एवं अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह तोमर के मार्गदर्शन में होने वाली इस महाआरती को गोल्डन और गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल करने की तैयारी है।
खारुन नदी को प्रदूषण मुक्त कर उसे नवजीवन प्रदान करने के उद्देश्य से होने वाली महाआरती के वार्षिकोत्सव समारोह में प्रसिद्ध पार्श्व गायक कैलाश खेर भी अपने भजनों से भक्ति की धारा बहाएंगे। प्रदेशभर से आने वाले अतिथियों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। वहीं, शहर को भी सुंदर ढंग से सजाया गया है।
खारुन तट महादेव घाट में हटकेश्वर महादेव मंदिर के पास स्थित घाट पर लगातार 13 महीनों से प्रति माह बनारस की तर्ज पर होने वाली आरती की यह परंपरा करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा एक वर्ष पूर्व 6 दिसंबर को शुरू की गई थी। हर माह की पूर्णिमा पर यहाँ होने वाली आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।
आरती से पहले भक्त खारुन के पवित्र जल की पूजा-अर्चना करते हैं और इसे स्वच्छ रखने की शपथ लेते हैं। महादेव घाट पर आरती के दौरान धार्मिक गीत और मंत्रों की गूंज सुनाई देती है और भक्तजन हटकेश्वर महादेव के दरबार में भक्ति भाव से अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
यह आरती अपने धार्मिक महत्व और श्रद्धा के कारण आमजन को एक आनंदमय और आत्मिक अनुभव देने के साथ-साथ नदियों के संरक्षण का संदेश प्रदान करती है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के आधा दर्जन तालाबों को प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास में करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह तोमर तन-मन-धन से जुटे हैं। उनका उद्देश्य जलसंरक्षण है। उनके प्रयास का ही असर है कि शहर के व्यास तालाब, धनेली तालाब, छुईयाँ तालाब हीरापुर, हल्का तालाब मठपुरेना और उरला तालाब प्रदूषण मुक्ति की ओर हैं।
तोमर के प्रयास से इन तालाबों पर भी आरती की जाती है। तालाबों को सुरक्षित और संरक्षित रखने का उनका यह अभियान अब जन आंदोलन बनकर समूचे देश में अपनी प्रसिद्धि बिखेर रहा है जिससे प्रभावित होकर अन्य कई स्थानों पर भी इस प्रकार की आरती का क्रम शुरु हुआ है जो इसकी सफ़लता का द्योतक है।